ये कड़वी सच्चाई है…!!

गरीब को एक रुपया दान नहीँ कर सकते, और
वेटर को टीप देने मेँ गर्व महसूस करते हो..
वेटर को टीप देने मेँ गर्व महसूस करते हो..

माँ बाप को एक गिलास पानी भी नहीँ दे सकते, और
नेताओँ को देखते ही वेटर बन जाते हो….

धूल से बचने के लिए ‘ममी’ बनने को भी तैयार हो..

पार्टियोँ मेँ खाने के लिए लाइन लगाना अच्छा लगता है…

गर्लफ्रेँड की डिमांड को अपना सौभाग्य समझते हो..

शॉपिँग मॉल मेँ अपनी जेब कटवाना गर्व की बात है…

‘गजनी’ लुक के लिए हर महीने गंजे हो सकते हो….

और
शाहरुख के ‘डॉन’ लुक के दीवाने बने फिरते हो….

नहीँ लगता, और उसी अनाज को पॉलिश कर के कंपनियाँ बेचेँ
तो क्वालिटी नजर आने लगती है..
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