तुम्हरी सबसे अच्छी टीचर तुम्हारी ही गलतियां है | समस्याओं पर फोकस करोगे तो 'लक्ष्य' दूर हो जाएगा, तुम 'लक्ष्य' पर फोकस करो ताकि समस्याएं....... | तुम्हरी सबसे अच्छी टीचर तुम्हारी ही गलतियां है |

Thursday, February 9, 2017

*प्रोटोजोआ जनित रोग*

*प्रोटोजोआ जनित रोग*

*मलेरिया*

मलेरिया रोग का कारक प्लाजमोडियम परजीवी(प्रोटोजोआ) है। इसका वाहक मादा ऐनोफेलिज मच्छर है।

दवा - कुनैन(क्लोरोकुनैन) - सिनकोना वृक्ष की छाल से प्राप्त होती होती है।

*हेल्मिन्थिज जनित रोग*

*1. बाला या नारू*

कारक - ड्रेकनकुलस मेडिनेन्सिस नामक कृमि

माध्यम - पानी(तालाब, नाड़ी)

वाहक - साइक्लोप्स

रोकथाम - साइक्लोप्स को नष्ट करने हेतु तालाबों में बारबेल मछलियां छोड़ी जाती है।(जैविक नियंत्रण)

राज्य में सन् 2000 के बाद इसका कोई रोगी नहीं पाया गया।


*2. हाथिपांव*

प्रभावित अंग - हाथ पैर, छाती आदि सुज जाते हैं।

कारक - वचेरिया बैंक्राप्टाई कृमि

वाहक - एडीज मच्छर

दवा - डाइईथाइल कार्बेमेजीन

*अनुवांशिक रोग*

वे रोग जो माता या पिता से बच्चों तक पहुंचते हैं। या पीढ़ी दर पीढ़ी चलते हैं।

*1. हीमोफीलिया(राॅयल बिमारी)*

हीमोफीलिया के जिन ...... लिंग गुणसूत्र पर पाए जाते हैं

वाहक - माता, स्वंय रोग ग्रसित नहीं होती।

प्रभाव - खुन का थक्का देरी से बनता है।

*2. वर्णान्धता*

इसके जिन भी X लिंग गुणसुत्र पर पाए जाते हैं।

वाहक - माता, स्वंय रोग ग्रसित नहीं।

प्रभाव - लाल व हरे रंग में विभेद नहीं कर सकते।

*अन्य अनुवांशिक रोग*

थैलेसीमिया, टर्नर सिन्ड्रोम, डाऊन सिड्रोम, पटाऊ सिन्ड्रोम, क्लिने फेल्टर

*अन्य रोग*

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*कैन्सर*

कोशिकाओं कि अनियन्त्रित वृद्धि से बने असामान्य उत्तक पिण्ड(ट्यूमर) कैंसर कहलाते हैं।

कारक - प्रोटोआॅन्कोजीन

इसका स्थाई उपचार अभी संभव नहीं हो पाया है लेकिन शल्य उपचार चिकित्सा द्वारा ट्यूमर को बाहर निकाला जा सकता है या रेडियोधर्मी कोबाल्ट कि किरणों के प्रयोग से इन्हें नष्ट कर दिया जाता है।

*मधुमेह*

अग्नाशय इन्सुलिन हार्मोन का स्त्रावण ठीक से नहीं कर पाता जिससे इन्सुलिन की कमी के कारण शर्करा का पाचन नहीं होता और शरीर को ऊर्जा प्राप्त नहीं होती इसके उपचार हेतु इन्सुलिन के इन्जेक्शन लेने चाहिए।

*हृदयघात*

हृदय के कपाटों में या रक्तवाहिनियों में रूकावट आने से हृदय ठिक से काम नहीं कर पाता।

*रक्ताल्पता(एनिमिया)*

लौह तत्व की कमी के कारण शरीर में रक्त की आॅक्सीजन ग्रहण करने की क्षमता कम हो जाती है। जिससे रोगी को थकान महसुस होती है।

*फफुंद से होने वाले रोग*

*खाज*

कारक - एकेरस स्केबीज

प्रभावित अंग - त्वचा

*दाद*

कारक - ट्राइकोफाइटाॅन

प्रभावित अंग - त्वचा

*दमा*

कारक - एस्पर्जिलस फ्यूमिगेटस

प्रभावित अंग - फेफड़े

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