तु ही माँ वीणापाणी, तु ही माँ शारदे।। तेरी शरण में हूं मैया, जीवन का मुझे सार दें। तेरा वैभव गा सकुँ मैं, कंठ में ऐसी झंकार दें। सारे जग में नाम कमाऊं, ऐसा मुझे आधार दें। कोई दुखी रहे नहीं यहां, खुशियों का संसार दें। स्वर साधना लें निकला हुँ, गीत का आकार दें।
No comments:
Post a Comment